डिण्डौरी, अपर नर्मदा बांध किसान संघर्ष मोर्चा के किसान प्रतिनिधि मण्डल ने आज जिला कलेक्टर डिण्डोरी में जिला कलेक्टर श्री हर्ष सिंह के साथ बात चीत की इस वार्तालाप में जिला प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर श्री सरोधन सिह एंव नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कार्यपालन यंत्री मौजूद रहे।
अपर नर्मदा परियोजना किसान संघर्ष मोर्चा क्षमाराम रविदास अध्यक्ष किसान मोर्चा पुष्पराजगढ़, गेंदलाल सिंह नेताम ग्राम देवरी, एड. देवीसिंह मरावी दमेहड़ी, महेन्द्र सिंह परस्ते खितगॉव, रेवा प्रसाद गुप्ता ठाड़ पाथर,संतोष सिंह तेकाम रौंसरखार, जगदीष सिह धुर्वे ग्राम घाठा, रितेश तेकाम अध्यक्ष किसान मोर्चा डिण्डौरी, वीरेन्द्र तेकाम अध्यक्ष गोगपा सदस्य किसान मोर्चा मोहतरा ,विजय कुमार सरठिया,दिलीप तेकाम गोरखपुर ददन सिंह धुर्वे ग्राम पथरकुचा, राजकुमार नेटी मूसामुण्डी, कपिल आर्मो सरपंच मूसामुण्डी, चंन्द्रविजय कुशराम सरपंच पाटन गढ़, तथा राघवपुर मरवारी बांध परियोजना किसान समिति के ओमकार तिलगाम अध्यक्ष, अमर मार्को अध्यक्ष आप, अपर बुढनेर परियोजना से प्रभावित ग्रामों के कार्यकर्ता कामता प्रसाद ग्राम जलेगांव, शिव परते ,फूल सिंह मरावी ग्राम खितगांव सहित अन्य किसान मौजूद रहे। वार्तालाप में वरिष्ठ समाज सेवी हरी सिहं मरावी व अमान सिंह पोर्ते प्रदेश अध्यक्ष गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तथा पार्टी के सदस्य गण विशेष रूप से मौजूद रहकर वार्तालाप में भाग लिए।
वार्तालाप के मुख्य अंश :
अपर नर्मदा परियोजना में भारत की सबसे बड़ी जनजाति गोंड के धर्मगुरू पारि कुपार लिंगों जी का तपस्थल लिंगों पहाड़ पुष्पराजगढ़ के बिलासपुर पंचायत एंव करंजिया विकासखण्ड के ग्राम रूसा के मध्य नर्मदा नदी के किनारे स्थित है, जंहा मध्यप्रदेश राज्य सहित देश अन्य राज्यों से गोंड जनजाति के लोग दर्शन पूजा पाठ करने आते है, अपर नर्मदा परियोजना से इस स्थल के चारों ओर पानी आ जायेगा जंहा जाना असंभव हो जायेगा।
यह कि ग्राम शोभापुर जंहा बांध बनाया जाना है उसके समीप ही करबे मटटा पहाड़ी पर करम श्री देवी स्थल है, यंहा पर भी दूर दूर से अनेक राज्यों से लोग अपनी मन्नत कामना हेतु लोग आते है, साथ ही पूरे क्षेत्र का पारंपरिक देवी देवताओं का मुख्यालय भी करम श्री देवी स्थल को माना जाता है, यह स्थल भी बांध निर्माण से पानी के अंदर आ जायेगा, इन ऐतिहासिक स्थलों के पानी में आ जाने से देश में मध्यप्रदेश सहित, अन्य राज्यों के लाखों लोग की आस्था आहत होगी।
भूमि अर्जन, पुर्नवासन और पुर्नव्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिनियम 2013 की धारा 41 में कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति को नहीं हटाया जायेगा, अगर जनहित में कोई परियोजना निर्माण आवश्यक है तो विस्थापन विहीन निर्माण किया जावे या आंशिक विस्थापन किया जाये व विस्थापितों को पुर्नवास का पूरा लाभ मिले। साथ ही आदिवासियों का पुर्नवास उनके अपने अनुसार हो जैसा वे चाहते है।
सिवनी संगम में स्थित कल्प वृक्ष जो मध्यप्रदेश में एक ही वृक्ष है, उक्त वृक्ष के संरक्षण हेतु शासन के द्वारा लाखों रूपये खर्च किए जा रहे हे वह वृक्ष भी परियोजना निर्माण से जल मग्न हो जायेगा और नष्ट हो जायेगा।
ग्राम सभाओं की विशेष शक्तियों का निर्वचन (Interpretation) करते हुए भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा 2013 में दिए गए फैसले Orissa mining Corporation vs Union of India में कहा गया है कि “notably the court says nothing about anyone having the power to overrule the gram sabha-“अर्थात विशेष रुप से उच्चतम न्यायालय का कहना है कि किसी भी प्राधिकारी के पास इतनी शक्ति नहीं कि वह ग्राम सभा के किसी भी फैसले को नामंजूर कर सकें। उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले के तहत किसी भी प्राधिकारियों (Authorities ) को ग्राम सभाओं द्वारा दिए गए सुसंगत निर्णयों के विरुद्ध कार्रवाई करना ग्राम सभाओं का उल्लंघन (Violation ) एवं उच्चतम न्यायालय का अवमानना (Contempt of Court ) माना जावे । परियोजना निर्माण में समस्त ग्रामसभाओं ने बांध निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया है, उसके बाद भी बांध की प्रक्रियाओं पर रोक नहीं लगाया गया है।
अपर नर्मदा परियोजना में डूबने वाली सभी भूमि उपजाऊ भूमि है उत्पादन से राज्य एंव केन्द्र शासन को मण्डी राजस्व व जीएसटी राजस्व प्राप्त होता है। डूब प्रभावित कृषि भूमि में किसान लोग बगैर खाद व सिंचाई के उत्पादन कर लेते है यह पूरी भूमि नर्मदा कछार कहलाती है।
प्रभावित किसानों ने अपनी बात रखते हुए यह कहा कि सरकार हमें मुआवजा तो दे देगी, लेकिन हम मुआवजा लेकर क्या करेगें जब हम भूमिहीन हो जायेगें हमारे पास भूमि ही नहीं रहेगी खेती के लिए — तो हम बरबाद हो जायेगें, वर्तमान में हमारे पास जो भी भूमि है हम उस भूमि से अपने पूरे परिवार का भरण पोषण के साथ ही जीवन के हर कार्य कर लेते है विस्थापन के बाद हम लोग सभी बरबाद हो जायेगें। इसलिए बांध निरस्त किया जावे।
जिला प्रशासन ने किसानों से कहा :-
मुख्य कार्यपालन अधिकारी नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण संभाग डिण्डौरी एंव जिला कलेक्टर डिण्डौरी ने किसानों की बात सुनकर कहा कि वर्तमान में गांव में सर्वे नहीं हो पा रहा है जिससे यह बता पाना असंभव है कि कुल इतने परिवार प्रभावित होगें या इतनी भूमि प्रभावित होगी। यह सर्वे के बाद ही बता सकते है। साथ ही आस्था के केन्द्र करबे मटटा करमश्रीदेवी स्थल तक आने जाने के लिए लंबे पुल का निर्माण किया जायेगा जिससे लोग आ जा सके इस संबध में राज्य शासन को अवगत करा दिया गया है। साथ ही मुआवजा की राशि दस लाख से बढाकर 12 लाख 50 हजार वर्तमान में प्रति हैक्टर किया गया है। तथा पुर्नवास पैकेज व पुर्नवास स्थल का चयन किया जा रहा है। किसानों ने कहा कि हम सभी किसान परियोजना नहीं चाहते है इसलिए सर्वे के लिए भी हमारा ग्राम तैयार नहीं है।