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सं‍त शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज सुबह 2:35 बजे डोंगरगढ़ के पास चंद्रगिरि तीर्थ में परंपरानुसार सल्लेखना में प्रवेश कर समाधि में लीन

डोंगरगढ़ छ.ग., ब्रह्मचारी विद्याधर नामधारी, पूज्य मुनि सं‍त शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आज सुबह 2:35 बजे डोंगरगढ़ के पास चंद्रगिरि तीर्थ में जैन धर्म परंपरानुसार सल्लेखना में प्रवेश कर समाधि में लीन हो गए, महाराज जी के समाधी में लीन होने की खबर देश विदेश में जानकारी लगते ही लोग स्तब्ध हो गए है यकीन ही नहीं होता है कि गुरूवर हमारे बीच नहीं है , आप संसार की असारता, जीवन के रहस्य और साधना के महत्व को पह्चान गये थे। आपकी निष्ठा, दृढता और अडिगता के सामने मोह, माया, श्रृंगार आदि घुटने टेक चुके थे। आप गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के पास मदनगंज-किशनगढ(अजमेर) राजस्थान पहुँचे। गुरुवर के निकट सम्पर्क में रहकर लगभग 1 वर्ष तक कठोर साधना से परिपक्व हो कर मुनिवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के द्वारा राजस्थान की ऐतिहासक नगरी अजमेर में आषाढ शुक्ल पंचमी, वि.सं. 2025, रविवार, 30 जून 1968 ईस्वी को लगभग 22 वर्ष की उम्र में सन्यम का परिपालन हेतु आपने मत्र पिच्छि- कमन्डलु धारण कर संसार की समस्त बाह्य वस्तुओं का परित्याग कर दिया। युवावस्था में वैराग्य एवं तपस्या का ऐसा अनुपम उदाहरण मिलना कठिन ही है। अब धरती ही बिछौना, आकाश ही उडौना और दिशाएँ ही वस्त्र बन गये थे। तब से आज तक अपने प्रति वज्र से कठोर, परंतु दूसरों के प्रति नवनीत से भी मृदु बनकर शीत-ताप एवं वर्षा के गहन झंझावातों में भी आप साधना हेतु अरुक-अथक रूप में प्रवर्तमान हैं। श्रम और अनुशासन, विनय और संयम, तप और त्याग की अग्नि मे तपी आपकी साधना गुरु-आज्ञा पालन, सबके प्रति समता की दृष्टि एवं समस्त जीव कल्याण की भावना सतत प्रवाहित होती रहती है।

मुनि श्री विद्यासागर महाराज को आचार्य पद

 नसीराबाद (अजमेर) राजस्थान बुधवार, 22 नवम्बर,1972 ईस्वी को आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ने अपने कर कमलों आचार्य पद पर मुनि श्री विद्यासागर महाराज को संस्कारित कर विराजमान किया। आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ने मुनि श्री विद्यासागर महाराज को आचार्य पद पर विराजमान किया

ध्यान के शीर्ष, तप के सूर्य , जटिलतम जीवनपथ के अनंत पथिक … मोक्षगामी हुए

आचार्यश्री पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पूज्य मुनि सं‍त शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने आचार्य पद का त्याग कर परंपरानुसार सल्लेखना (निर्जल उपवास) पिछले तीन दिन से उन्होंने अन्न जल का पूरी तरह त्याग कर दिया था। आचार्यश्री अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए डोंगरगढ़ के पास चंद्रगिरि तीर्थ छत्तीसगढ़ में आज 18 फरवरी 2024 को सुबह समाधी पर लीन हो गए (उन्होंने देह का त्याग किया है) खबर से देशभर में शोक की लहर है। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के अंतिम दर्शन के लिये डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी में बड़ी संख्या में उनके अनुयायियों जनसैलाब उमड़ पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आचार्य श्री विद्यासागर के निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है। इधर, छत्‍तीसगढ़ सरकार ने आधे दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया है।

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