पुष्पराजगढ़/अनुपपुर, मध्यप्रदेश शासन के द्वारा नर्मदा नदी पर बनाया जाने वाला अपर नर्मदा बांध शोभापुर/खेतगॉव का विरोध लंबे समय से चल रहा रहै, बांध निर्माण की कार्यवाही जैसे ही नर्मदा घाटी व राजस्व विभाग ने वर्तमान समय शुरू किया वैसे ही लगातार डिण्डौरी व पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में विरोध जोरो से चल रहा है। वैसे तो डिण्डौरी जिले में अनेक बांध बनाए जा रहे है। लेकिन जो किसानों की एकता किसान संघर्ष मोर्चा पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में देखने को मिलती है वह अन्य जगह कम देखने को मिलती है। कांग्रेस भाजपा गोंडवाना सभी राजनैतिक दल के व्यक्ति किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले एक स्वर में बांध का विरोध कर रहे है।
06 अक्टूबर 2024 से होना था सर्वे, किसान महापंचायत में भारी विरोध के कारण सर्वे कार्य बंद अधिकारियों ने दिया आश्वासन बगैर ग्रामसभा की सहमति के कोई भी कार्य नहीं होगा और ना ही कोई अधिकारी कर्मचारी आयेगा।
किसान महापंचायत में उपस्थित हुए नर्मदा घाटी के कार्यपालन यंत्री ने मंच से प्रभावित किसानों को आश्वासन दिया कि बगैर ग्रामसभा की सहमति के कोई भी सर्वे कार्य किसी भी गांव में बांध से संबधित नहीं किया जावेगा और ना ही कोई कर्मचारी अधिकारी आयेगा।
एस डी एम पुष्पराजगढ़ द्वारा बांध से होने वाले लाभ के बारे में व अन्य कार्यो के संबध में जानकारी दी जा रही थी कि कुल कितने हैक्टेयर भूमि इसमें प्रभावित होगी कोई भी गांव पूर्ण रूप से विस्थापित नहीं होगा, इस पर जनता विरोध करने लगी की हम बांध ही नहीं चाहते हमको लाभ ना बताया जावे ना ही मुआवजा के संबध में बात करो हम तो बांध ही नहीं चाहते फालतू बातें नहीं सुनना बांध निरस्त करो बांध निरस्त करो सभी तरफ से आवाज आने पर एसडीएम पुष्पराजगढ़ ने भी कहा कि आप लोगों की जो भी जायज मांगे है उन्हें हम उच्च अधिकारियों तक पंहुचायेंगें।
प्रभावित ग्रामों की महिलाओं ने महापंचायत में बांध अधिकारियों को किया मजबूर
महापचांयत में उपस्थित महिलाओं ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण एंव राजस्व विभाग से आये अधिकारी कर्मचारियों को विवश किया कि लिखित दो कि आज से सर्वे कार्य नहीं किया जायेगा, और ना ही इस क्षेत्र में बगैर सूचना के आओगे। ग्रामसभा में जब हमने बांध निरस्त का प्रस्ताव पारित किया है तो सरकार क्यों नहीं मान रही लगातार हो रही कार्यवाही को बंद किया जाये। अधिकारी कर्मचारी भी वस्तुस्थिति भांप लिए की महापंचायत में लिखित देना पड़ेगा नहीं तो जनता जाने नहीं देगी ,प्रमुख अधिकारियों ने लिखित आश्वासन देकर आमजन को शांत किया।
पूर्व में भी भारी विरोध एंव लंबी न्यायालय कार्यवाही के कारण सरकार ने अपर नर्मदा बांध निर्माण को रोकते हुए ठेका रदद कर दिया था।
पुनः नये बजट नई प्रशासकीय स्वीकृति के साथ बांध की कार्यवाही की जा रही है, जिससे जनता में रोष व्याप्त है।
अपर नर्मदा बांध का पहला सर्वे 1971-72 में हुआ था,दूसरा सर्वे 1979 में और 2011 में ठेका हुआ यह ठेका हैदराबाद की मेघा इंजिनियरिंग इंफास्ट्रक्चर कंपनी को दिया गया था। इस बांध में डिण्डौरी जिले के 17 गांव व पुष्पराजगढ़ अनुपपुर के 10 गांव के 1300 परिवार प्रभावित होंगें। इस बांध में 18,616 हैक्टैयर भूमि 27 ग्रामों की प्रभावित होगी।
किसान महापंचायत में एसडीएम पुष्पराजगढ़ का कहना था कि अभी मात्र प्रपोजल बनाया गया है, जब तक वास्तविक सर्वे जमीन पर नहीं होगा तब तक हम यह नही कह सकते कि कितनी जमीन प्रभावित होगी सही सर्वे होने पर लगभग 1200 हैक्टेयर भूमि प्रभावित होगी। एंव परिवारों की सही गणना हो सकती है। जैसा बताया जा रहा है वैसा नहीं है वास्तविकता सर्वे के बाद ही पता चल सकता है। अभी जो भी जानकारी है वह भ्रमित है। उन्होने बताया कि बांध बनने से सिंचाई का रकबा बढ़ेगा और ज्यादा उत्पादन होगा। जनता ने एसडीएम से कहा कि हम बांध ही नहीं चाहते है हमारी जमीन उपजाऊ है, पानी गिरे या ना गिर हमारी जमीनों में बगैर खाद पानी से अनाज का उत्पादन होता है हम उपजाऊ जमीन नहीं डूबने देगें।
किसान मोर्चा ने कहा कि अभी लंबी है लड़ाई, जब तक शासन का लिखित आदेश नही होता तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा
किसान मोर्चा के अध्यक्ष सी.आर. रविदास ने कहा कि आज की सफलता का श्रेय सभी किसान बंधु भाईयो बहनों को जाता है, एंव क्षेत्र के समस्त जनप्रतिनिधियों का है जिन्होने अपर नर्मदा किसान संघर्ष मोर्चा के किसान महापंचायत में उपस्थित होकर वर्तमान में जो सर्वे कार्य विभाग द्वारा क्षेत्र में आज से किया जाना था वह रोक दिया गया है। जैसा कि मंच से नर्मदा घाटी के अधिकारियों ने कहा है कि हम बगैर ग्रामसभा की सहमति के कोई भी कार्य नहीं करेंगें और ना ही बगैर सूचना व सहमति के बांध के संबध में कोई कर्मचारी अधिकारी भी नहीं आयेगा। अब देखना यह है कि शासन हमारे निर्णय पर क्या प्रतिक्रिया करता है। उसके बाद हमारा किसान मोर्चा निर्णय लेगा। उन्होने बताया कि इस संबध में न्यायालय में भी याचिका दाखिल हो चुकी है, पूर्व में जो ऐडवोहकेट इस प्रकरण को न्यायालय में वकालत कर रहे थे, पुनः वरिष्ठ एडवोहकेट राजेशचंद इस प्रकरण पर अपना तर्क न्यायालय में रख रहे है। अध्यक्ष किसान मोर्चा रविदास ने सभी जनप्रतिनिधियों एंव किसान भाईयों का आभार व्यक्त किया।
महापंचायत में मुख्य रूप से किसान महापंचायत के समस्त प्रभावित ग्रामों के सम्मानीय सदस्यगण तथा किसान महापंचायत को अपना समर्थन देने पंहुचे जिला अनुपपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष, डिण्डौरी जिला पंचायत अध्यक्ष रूदेश परस्ते, विधायक पुष्पराजगढ़ फुंदेलाल मार्को, जिला पंचायत सदस्य श्रीमति भुवनेश्वरी सिंह, अनिल सिंह गोंड गोगपा, समस्त जनपद सदस्य, जनपद अध्यक्ष पुष्पराजगढ, डिण्डौरी क्षेत्र के किसान मोर्चा अध्यक्ष व सदस्यगण सहित समस्त सरपंच गण व ग्राम सभा अध्यक्ष सम्मलित हुए साथ ही प्रशासन से पुष्पराजगढ़ एसडीएम, व राजस्व के सभी कर्मचारी, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण संभाग डिण्डौरी के कार्यपालन यंत्री, एसडीओ व उपयंत्री सहित पुलिस प्रशासन मुख्य रूप से मौजूद रहा।
संघर्ष जारी रहा तो बांध निर्माण रूक सकता है
इस संघर्ष में लंबे समय से संवैधानिक लड़ाई लड़ रहे आदिवासी समाज के वरिष्ठ समाज सेवी हरी सिंह मरावी से मोबाईल पर संपर्क कर बांध के संबध में बातचीत की वे जिले से बाहर रहने के कारण किसान महापंचायत में सम्मलित नहीं हुए उन्होने बताया कि सबसे अहम बात यह है कि यह क्षेत्र पांचवी अनुसूचित क्षेत्र है, भू अर्जन कानून 2013 की धारा 41 (1) में स्पष्ट है कि भूमि का कोई भी अर्जन, यथासंभव अनुसूचित क्षेत्र में नहीं किया जायेगा। धारा 41 (2) यदि ऐसा अर्जन होता है तो ऐसा केवल साध्य व अंतिम अवलम्ब के रूप में किया जावेगा।
दूसरी अहम बात यह है कि परियोजना निर्माण से करबे मटटा करम श्री देवी स्थल व लिंगो गढ़ जो आस्था स्थल है, इनके आस पास चारों और जल भर जायेगा, इन आस्था स्थलों को आप स्थानांतरण नहीं कर सकते क्योंकि ये प्राकृतिक है, मंदिर आदि स्थानातरण किए जा सकते है प्राकृतिक स्थलों को नहीं किया जा सकता।
सिवनी संगम में स्थित कल्प वृक्ष जो मध्यप्रदेश में एक मात्र इकलौता वृक्ष है, जिसके संरक्षण में करोड़ो रूपये शासन ने ही खर्च किए है।
वेदांता जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी प्राधिकारी के पास इतनी शक्ति नहीं है कि वह ग्रामसभा की अवमानना करे। सुप्रीम कोर्ट के अनेक निर्णय है जो अनुसूचित क्षेत्रों की भूमि के संबध में है, उन सभी निर्णयों का पालन क्या हो रहा है, यह सभी तर्क न्यायालय की लड़ाई में रखे जावेगें। अब देखना यह है कि यंहा सभी ग्रामसभाओं ने अपना प्रस्ताव बांध निरस्त करने का पारित कर विभाग को अवगत करा दिया है। ग्रामसभा सहमति परियोजना निर्माण के लिए अनिवार्य है, जबकि किसी भी ग्रामसभा ने अपनी सहमति नहीं दी है।
पेसा कानून 1996 व पेसा नियम 2022 तथा वन अधिकार मान्यता कानून 2006 का उल्लंघन हो रहा है।
मध्यप्रदेश में जैव विविधता का मुख्य महत्वपूर्ण क्षेत्र अमरकंटक सतपुड़ा का वन है, जो कि बांध क्षेत्र से लगा हुआ है, सरकार जैव विविधता के संरक्षण में करोड़ो रूपये खर्च कर रही है, परियोजना निर्माण से जैव विविधता पर भी प्रभाव पड़ेगा।
भौगोलिक व भूगर्भीय प्रभाव भी यंहा देखने को मिलता है कि शोभापुर के आसपास पूर्व में बोरिंग किया गया था, जिसमें बहुत दिनां तक जमीन से लगभग 50 फिट ऊपर तक पानी प्रेशर से निकलता रहा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह भूगर्भीय प्रभाव हो सकता है लेकिन स्थानीय लोग इसे संकेत मानते है कि इस क्षेत्र में अगर परियोजना निर्माण किया जाता है तो भूगर्भीय हलचल हो सकती है, सरकार को पहले भूगर्भीय सर्वेक्षण कराना चाहिए।
नर्मदा तट के दोनो और प्रभावित भूमि पूर्णतः उपजाऊ भूमि है, जिससे कृषि मण्डी को सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है।इस कारण इस परियोजना का दोनो जिलों में भारी विरोध है,
संवाददाता : विनय मरावी