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झारखण्ड में जातीय जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की मंजूरी

रांची झारखण्ड,

बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद अब उसके पड़ोसी राज्य झारखंड में भी जातीय जनगणना का रास्ता साफ हो गया है. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने इसकी मंजूरी दे दी है और कार्मिक विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं ,पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जाति जनगणना के पक्ष में थे हालांकि अब इसकी जिम्मेदारी कार्मिक विभाग को सौंप दी गई है. दरअसल, बिहार में जातीय जनगणना हो चुकी है और इसके आंकड़े भी जारी किए जा चुके हैं. इसके बाद झारखंड में भी राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना का दवाब बनाया था.  राज्य कार्यपालिका नियमावली में जनगणना का काम कार्यपालिका नियमावली में किसी विभाग को आंवटित नहीं था, सरकार की मंजूरी के बाद अब कार्मिक विभाग जातीय जनगणना को लेकर प्रस्ताव तैयार करेगा। जातीय जनगणना के बाद राज्य में जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी होगी इस कार्य को पूर्ण होने में कितना समय लगेगा अभी संशय बना हुआ है, लेकिन सरकार का कहना है कि इसे जल्द ही पूरा किया जावेगा,

जातिगत जनगणना का इतिहास

भारत देश में सर्वप्रथम ब्रिटिश शासन के दौरान जनगणना करने की शुरुआत सन 1872 में हुई. वर्ष 1931 तक जितनी बार भी भारत की जनगणना कराई, उसमें जाति से जुड़ी जानकारी को भी दर्ज़ किया गया था. आज़ादी के बाद  साल 1951 में पहली बार देश में जनगणना की, तो केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से जुड़े लोगों को जाति के नाम पर वर्गीकृत किया गया.

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