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गरीबी का प्रमाण केवल सामान्य वर्ग को ही क्यों देश के सभी गरीबो को क्यों नहीं : हाईकोर्ट

गरीब सभी वर्ग जातियों में होते है तो ews का लाभ केवल सामान्य वर्ग को ही क्यों, भारत सरकार दे जबाब: हाईकोर्ट

गरीब सभी वर्ग जातियों में होते है तो ews का लाभ केवल सामान्य वर्ग को ही क्यों, भारत सरकार दे जबाब: हाईकोर्ट गरीबी का प्रमाण केवल सामान्य वर्ग को ही क्यों देश के सभी गरीबो को क्यों नहीं : हाईकोर्ट
संविधान के अनुच्छेद 15(6) एवं 16(6) से असंगत बताते हुए ews के सम्वन्ध में भारत सरकार द्वारा जारी पालसी की संवैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती, भारत सरकार को जबाब देने हेतु नोटिस जारी !
ews आरक्षण के सम्वन्ध में,सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दखल !

जबलपुर 17 फरवरी 2024 :  EWS आरक्षण लागू किए जाने के सम्वन्ध में भारत सरकार द्वारा दिनांक 17/01/2019 की संवैधानिकता को पांच आधारो पर चुनौती दी गई है

(1): भारत सरकार द्वारा जारी EWS आरक्षण लागू किए जाने की नीति संविधान के अनुच्छेद 15(6) एवं 16(6) से असंगत   है

(2): Ews नीति में obc/एस सी /एस टी को लाभ से बंचित किया जाना अनुच्छेद 14 के विरूध है

(3): सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित फैसला में भारत सरकार की नीति दिनांक 17/01/19 का नहीं किया गया है परिक्षण

(4): EWS आरक्षण स्पेशल रिजर्वेशन है जिसे, वर्टीकल लागू किया जाना है असंवैधानिक है इसे होरीजोंटल लागू किया जाना औऱ संविधान की मूल भावना के विपरीत भी है!

(5): EWS से सम्वधित भारत सरकार की नीति गरीबो में जातीय आधार पर भेदभाव करने बाली है !

            उपरोक्त आधारो पर एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एन्ड शोसल जस्टिस नामक संस्था द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक जन हित याचिका क्रमांक 30853/2023 दाखिल की गई हैँ ! उक्त याचिका की आज दिनांक 17/02/2024 को मुख्य न्यायमूर्ति श्री रवि मालिमठ तथा जस्टिस श्री विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की गई ! याचिका में उठाए गए मुद्दों के संदर्भ में कोर्ट द्वारा सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ द्वारा जनहित अभियान वनाम भारत संघ में पारित फैसला दिनांक 07/11/2022 को पारित फैसला का परिक्षण किया गया, याचिका कर्ता की ओर से कोर्ट को वताया गया क़ी उक्त फैसला में संविधान में किए गए संशोधन की वैधानिकता को सही ठहराया(upheld) किया गया हैँ ! जिसका समर्थन याचिका कर्ता करता हैँ,लेकिन उक्त संविधान के संशोधन की मूल भावना के विरूद्ध भारत सरकार द्वारा दिनांक 17/02/2019 को ऑफिसमेमोरेंडम (policy ) जारी की गई हैँ जिसमे गरीबी का प्रमाणपत्र केवल सामान्य वर्ग को ही जारी किए जाने के दिशा निर्देश दिए गए हैँ ! जबकि 103 वे संविधान के संशोधन में प्रत्येक वर्ग के गरीबो को ews आरक्षण का लाभ दिए जाने का प्रावधान हैँ ! कोर्ट को बताया गया की भारत सरकार द्वारा जारी ऑफिस मेमोरेंडम को आज दिनांक तक किसी भी न्यायलय में चुनौती नहीं दी गई हैँ, नहीं उक्त सम्वन्ध में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अपना कोई स्पष्ट अभिमत दिया हैँ ! तथा भारत सरकार आपने ऑफिस मेमोरेंडम में जाति के आधार पर गरीबो में भी भेदभाव करने की बात कहीं गई हैँ जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15(5) एवं 16(6) के विपरीत हैँ ! हाईकोर्ट ने उक्त तर्कों को बेहद गंभीरता पूर्वक लेते हुए भारत सरकार को नोटिस जारी करके 6 सप्ताह के अंदर जबाब तलब किया हैँ ! याचिका कर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता ,विनायक प्रसाद शाह, रामेश्वर सिंह ठाकुर,परमानंद साहू,पुष्पेंद्र कुमार शाह ,प्रतिक्षा सेन, रूप सिंह मरावी, मधुसूदन कुर्मी, उदय कुमार ने की !

EWS का मतलब

EWS यानी कि Economically Weaker Section, जिसको हिंदी में आर्थिक कमजोर वर्ग कहते हैं। यह सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए बनाया गया था, जिसके तहत आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है।

कब हुआ था लागू

साल 2019 की जनवरी में केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरी, स्कूल और कॉलेज में आरक्षण देने के लिए आर्थिक आधार पर 10 फीसदी का आरक्षण लागू किया था। इसके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया गया था।

कौन हो सकता है ईडब्ल्यूएस में शामिल

ईडब्ल्यूएस कोटे में केवल वही लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है। ऐसे परिवारों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी में शामिल कर उन्हें 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है।

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