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आदिवासी सुरक्षा यात्रा बैतूल पंहुची

 

मध्यप्रदेश,आदिवासी सुरक्षा यात्रा आज बैतूल पंहुची मध्यप्रदेश की सीमा में 10 अगस्त को यात्रा अनुपपुर जिले में पंहुची, देश भर के आदिवासिआंे का वैचारिक एकीकरण, सांस्कृतिक शुद्धिकरण और सामाजिक राजनितीक एकता के लिए जागरुक अभियान को लेकर यह यात्रा 09 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस 2023 के दिन से आदिवासी गणनायक वीर बिरसा मुंडा के गांव उलीहातु झारखंड से प्रारंभ होकर झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र (आदिवासी क्षेत्र) में भ्रमण करेगी। कुल 54 दिवस की यह यात्रा अधिकांश पैदल यात्रा होगी एवं जहां आवश्यक हो वहां वाहन में होगी। यात्रा का समापन गुजरात राज्य के सांबरकांठा जिले के विजयनगर तहसील में जहां 800 के करीब भील आदिवासिआंे की हत्या राजपूत रजवाडी सेना एवं अंग्रेजी सेना के हाथों हुई थी, उस गांव दवाव ( पास चितरीया) में 02 अक्तुबर 2023 को होगा।
बिरसा मुंडा के गांव से मिट्टी लेकर यात्रा जिस आदिवासी आस्था एवं ऐतिहासिक स्थलों से गुजरेगी वहां की मिट्टी को मिलाया जाएगा। आदिवासी सभ्यता संस्कृति की जन्मदाता नर्मदा जी उद्गम स्थल अमरकंटक से नर्मदा जल लेकर यात्रा आगे डिण्डौरी जिले में पंहुची 11 अगस्त को डिण्डोरी नगर भ्रमण कर या़त्रा मंडला-घंसौर-लखनादौन-छिंदवाड़ा होते हुए आज 15 अगस्त को बैतूल पंहुची।

आदिवासी सुरक्षा यात्रा का उद्देश्य
यात्रा में चल रहे केतन बामनिया ने बताया कि भारत के 781 जातीय समूहों की सुरक्षा (आदिवासी सुरक्षा) है और वह कैसे हो सकती है? यात्रा में इस विषय पर सभी आदिवासी संगठनों से विचार मंथन किया जा रहा है।
आदिवासी आज खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है, इसके लिए अधिकांश हम स्वयं जिम्मेदार है। 75 वर्षाे पूर्व हम पूरी तरह आत्मनिर्भर थे देखा जा सकता है कि हम ज्यादातर दूसरों पर निर्भर बन गये है, हमें फिर से आत्मनिर्भर बनना होगा, अपनी आवश्यकताओं को स्वंय पूर्ण करना होगा, आवश्यकता का अन्न, एवं अन्य खाद्य पदार्थों का उत्पादन अपने खेतों में करना होगा। इसके लिए आदिवासी क्षेत्र के पानी का आरक्षण होना चाहिए। पानी प्राथमिकता से आदिवासी समुदाय को मिले यह कानुनी बाध्यता होनी चाहिए। यदि हम दो समय के भोजन में आत्मनिर्भर हो गए तो किसी की गुलामी करने की आवश्यकता नहीं रहेगी वैसे ही अन्य जो कोई हमारी जरूरते है उसमे हो सके उतना आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।
विभिन्न राज्य सरकारो द्वारा आदिवासिओं को खत्म करने के लिए एक षडयंत्र के तहत जो किसी भी तरह से आदिवासी नहीं है उन्हें आदिवासी बनाया जा रहा है। इस वजह से हमारे प्रतिनिधित्व (आरक्षण) जैसे संवैधानिक अधिकारों में बंटवारा हो रहा है। उसे रोकने के लिए हर एक व्यक्ति को एक साथ मिलकर रहना होगा, खासकर मणीपुर जैसे हालात न हो इसलिए विविध सरकारों द्वारा बनाए जा रहे नए अनुसुचित जनजाति समूह जो किसी मी तरह आदिवासी नही है उसे रोका जाए। अनुसूचित क्षेत्र (आदिवासी विस्तार के लिए विशेष सपना अनुसूची 5 का जमीनी स्तर पर प्रभावी भाग हो इसके लिए एक साथ आवाज उठाना पड़ेगा। तभी हम अपना जल, जंगल, जमीन में विकास के नाम पर आदिवासीओ की जमीन छीन कर हो रहा विस्थापन रोकना, और जंगल की पैदावार पर आदिवासिओ का अधिकार हो। रोजगार के लिए पलायन रोकने के लिए स्थानीय रोजगार की व्यवस्था हो। देश के सारे आदिवासिओ को अपनी राजनैतिक सोच बदलना चाहिए, उसके लिए सभी समुदायों को साथ बैठकर विमर्श करना चाहिए।

खबर 750 न्यूज से बात करते हुए गुजरात से आए सभी साथियों ने बताया कि जैसे जैसे यात्रा अपने गंतव्य की और बढ़ रही है,यात्रा में जनसंख्या बढ़ती जायेगी यात्रा जब गुजरात के सांबरकाठा जिले में पंहुचेगी लाखों आदिवासी इस यात्रा में सम्मलित होंगे। देश के सभी आदिवासी सामाजिक संगठनो को एक मंच पर एक विचार धारा पर कार्य करना होगा तभी हम अपने संवैधानिक अधिकारों को बचा पायेगें यही हमारा मुख्य उददेश्य है।

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